Class 7 Hindi Vasant Chapter 18 question answer pdf Download

sangharsh ke karan mein tunukmizaaj ho gaya dhanraj class 7 hindi chapter 18 Question and answers NCERT Solutions with free pdf download संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज

Class 7 Hindi Vasant Chapter 18 sangharsh ke karan mein tunukmizaaj ho gaya dhanraj question answer

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पाठ संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिज़ाज हो गया धनराज

प्रश्न : साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है? वर्णन कीजिए।

उत्तर : साक्षात्कार पढ़कर हमें धनराज के सीधे सरल स्वभाव सामान्य व्यक्तिगत जीवन में कठिनाइयों से जूझने के विषय में पता चलता है।वे एक साधारण परिवार से थे। जीवन में  कठिनाई व संघर्ष के कारण वे अपने आप को असुरक्षित समझते थे। प्रसिद्धि प्राप्त करने पर भी उनके मन में जरा भी घमंड नहीं आया। लोकल ट्रेन में सफर करने में भी उन्हें कोई परहेज नहीं था। लोगों को लगता है की वे तुनुक-मिजाज के थे लेकिन वास्तव में उनका स्वभाव बहुत ही सरल व कोमल था। 

प्रश्न : धनराज पिल्लै ने जमीन से उठकर आसमान का सितारा बनने  यात्रा तक की है। लगभग 100 शब्दों इस सफर का वर्णन कीजिए। उत्तर : धनराज का बचपन मुश्किलों से भरा हुआ था वह बहुत गरीब थे। उनके बड़े भाई हॉकी खेलते थे। इस कारण उन्हें भी हॉकी खेलने का शौक लग गया। उनकी हॉकी खरीदने की हैसियत नहीं थी। वे अपने साथियों से हॉकी उधर मांग कर खेलते थे। जब उनके भाई को भारतीय कैंप में  चुन लिया गया तब उनको पहली पुरानी हॉकी भाई से मिली। उन्होंने अपनी जूनियर हॉकी सन 1985 में मणिपुर में खेली थी। जब वे सिर्फ 16 साल के थे। वे बचपन में बहुत ही जुझारू थे। मैदान में भी मैदान के बाहर भी। सन 1986 में सीनियर टीम में उनका चयन हुआ। उसमें वे बहुत अच्छे से खेले। उनको उम्मीद थी कि 1988 में नेशनल कैंप से बुलावा जरूर आएगा, लेकिन उनका नाम ५७ (57) खिलाड़ियों की लिस्ट में भी नहीं था। वे बहुत मायूस हुए। इसके एक  साल बाद ही ऑलविन एशिया कप की टीम के लिए उनको चुन लिया गया। इसके बाद वे एक अच्छे खिलाड़ी के रूप में प्रसिद्ध होते चले गए। 

प्रश्न : मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने  की सीख दी है –

 धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है ?

उत्तर : धनराज पिल्लै की इस बात का अर्थ है – कि उनकी मां ने उन्हें यह सीख दी है कि प्रसिद्धि प्राप्त होने पर घमंड नहीं करना चाहिए।

क्योंकि प्रसिद्धि कठिनाई से मिलती है। इसलिए विनम्र बने रहना चाहिए।

साक्षात्कार  से आगे

प्रश्न : ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों ? पता लगाइए।

उत्तर : मेजर ध्यानचंद हॉकी के भूतपूर्व खिलाड़ी एवं कप्तान थे। वे  विश्व में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में गिना जाते है। वे तीन बार ओलंपिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे। जिन में 1928 का एम्सटर्डम ओलम्पिक, 1932 का लॉस एंजेल्स ओलंपिक व 1936 का बर्लिन ओलंपिक शामिल है। उनके जन्म दिवस को भारत का राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनकी गेंद का ऐसा जादू था कि देखने वाले मुग्ध ही जाते थे। उनके प्रतिद्वंदी खिलाड़ी को आशंका होती थी को उनकी स्टिक में चुम्बक लगा है।

इनकी खेलने की प्रतिभा ने जर्मन तानाशाह हिटलर को भी प्रभावित किया था।

प्रश्न : किन विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है ?

उत्तर : हॉकी का खेल भारत में अत्यंत लोकप्रिय है। यह खेल भारत के प्रत्येक प्रदेश में खेला जाता है। इस खेल ने भारत को विश्व पटल पर काफी प्रसिद्धि दिलाई। इसकी वजह से भारत ने सन् 1928 से 1956 तक लगातार छह स्वर्ण पदक जीते, इन्हीं विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है

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  • प्रश्न : ‘यह कोई जरूरी नहीं शोहरत पैसा भी साथ की लेकर आए’ क्या आप धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं ? अपने अनुभव और बड़ो की बातचीत के आधार पर लिखिए।

    उत्तर : हम धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं कि यह कोई जरूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए’ क्योंकि हमारे समाज में न जाने कितने बड़े संगीतकार व खिलाड़ी ऐसे हैं, जिन्हें शोहरत तो बहुत मिली लेकिन जीवन भर आर्थिक तंगी से जूझते रहे, जहां तक कि महान लेखक मुंशी प्रेमचंद ने भी अपना जीवन बहुत ही गरीबी में व्यतीत किया। इसलिए यह कह सकते हैं कि यह कोई जरूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आती है।

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